February 18, 2009

दिल ढूँढता है फिर वही-अश्वनी

बड़े शहर में फुर्सत के पल भी जल्दी में होते हैं॥
छोटा शहर जल्दी में भी फुर्सत में होता है॥
मैं एक बड़े शहर से अपेक्षाकृत छोटे शहर में आ के पूरी फुर्सत में हूँ॥
मैं अब और भी छोटे शहर से होते हुए किसी गाँव में जाना चाहता हूँ॥
जहाँ शब्दकोष में जल्दी ,जल्दबाजी जैसे तमाम शब्द अपने आप विलुप्त होते चले गए॥
माँ का गर्भ मेरी ज़िन्दगी का सबसे छोटा गाँव था जहाँ का मैं अकेला बाशिंदा था और पूरी फुर्सत में था॥
अब शायद वैसा सा इक गाँव मिलेगा मुझे उसके दामन में॥
वो जो ले के आई हैं मेरे जीवन में फुर्सत के कुछ रात दिन..

3 comments:

  1. "Fursat" shabd ka badi fursat se istemaal kiya aapne. kalpana aur hakeekat ka khoobsoorat rekhankan

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  2. shukriyaa vivek..aapke vivek aur budhi ke hum bhi kaayal hain..

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  3. kya baat hai ash....koi jawaab nahi...atisunder.....yash...

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