साँस सुनी टिक टिक घड़ी सरकी वक्त बढ़ा आगे आगे
दो घड़ी हो गई बड़ी
वक्त की चाल धीमी धीमी , कछुआ भागा तेज़
पाताल का अजगर करवट ले कर सो गया ढँक कर मुंह
सपने उड़ने लगे हवा में ,पतंग से जा टकराए
एक पतंग कटेगी
बिजली की तारों में अटकी रहती हैं कुछ पतंगे सालों सालों
मेरा कुछ मीठा खाने का मन है
आजकल शादियों का मौसम है ,पटाखे बजाता है कोई
एक पटाखा छिटक के पटाखों के ढेर पे जा बैठा
लगता है दीवाली नज़दीक है
मुझे चुम्बन बहुत मीठे लगते हैं
दो घड़ी हो गई बड़ी
वक्त की चाल धीमी धीमी , कछुआ भागा तेज़
पाताल का अजगर करवट ले कर सो गया ढँक कर मुंह
सपने उड़ने लगे हवा में ,पतंग से जा टकराए
एक पतंग कटेगी
बिजली की तारों में अटकी रहती हैं कुछ पतंगे सालों सालों
मेरा कुछ मीठा खाने का मन है
आजकल शादियों का मौसम है ,पटाखे बजाता है कोई
एक पटाखा छिटक के पटाखों के ढेर पे जा बैठा
लगता है दीवाली नज़दीक है
मुझे चुम्बन बहुत मीठे लगते हैं
hmmmmmm..............yash..
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