मेले लगे हैं...
मगर आज हम फिर से अकेले चलें हैं...
भीड़ से हटके चलने कि आदत पुरानी है...
अब इस आदत को जिद में बदलने चलें हैं
मगर आज हम फिर से अकेले चलें हैं...
भीड़ से हटके चलने कि आदत पुरानी है...
अब इस आदत को जिद में बदलने चलें हैं
देखा पानी लगी प्यास... ऐसा ही है मेरा ब्लॉग की दुनिया में आना। देखा-देखी। दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं था, पर अब जब सभी लोग कर रहे हैं तो सोचा हाथ आज़माया जाए। पर इतना तय है कि अब आ गया हूं तो कुछ अच्छा करके ही जाऊंगा।