August 20, 2012

तूने - अश्वनी

चन्द लम्हे  
कंपन से गुज़रा
हाथ
लकीरें गडमड हो गई
एक छोटी सी कंपन ने
तकदीर बदल डाली

गुनाह के रस्ते पे था 
अकेला 
भटकन थी डगर 
तूने पास बिठाया  
दो पल
तस्वीर बदल डाली 

कुछ घटनाओं को 
समझने लगा था 
प्यार 
एक बादल को बहार
तूने चंद की बातें
बादल छंट गया
तदबीर बदल डाली 

नाशुक्रा था 
सदा से
तेरा करम हुआ
सजदे में आ गया 
गिर गया ग़ुरूर
तहरीर बदल डाली 

August 16, 2012

घुमंतू - अश्वनी

घुमंतू आत्मा
कैद
शिथिल जिस्म में

घुमंतू सोच

कैद

कुंद दिमाग में

घुमंतू प्रेम

कैद
बासी सम्बन्ध में

घुमंतू नज़र

कैद
जबरन नकाब में

घुमंतू चाह

कैद
ओढ़ी आह में

घुमंतू घुमंतू

घुमंतू घुमंतू
रहूँ घुमंतू
सोचूं घुमंतू
चाहूँ घुमंतू
भोगूँ घुमंतू
पाऊं घुमंतू
देखूं घुमंतू
जियूं घुमंतू

घुमंतू घुमंतू

घुमंतू घुमंतू
भटकूँ घुमंतू
नष्ट घुमंतू
कष्ट घुमंतू
पस्त घुमंतू
शांत घुमंतू
मरूं घुमंतू
विलीन घुमंतू

अनदेखा घुमंतू

अनोखा घुमंतू

August 14, 2012

अक्षम आँख - अश्वनी

हलचल हुई
हिया हिला
ताके टुकुर टुकुर
अपना अक्स
झिलमिल झिलमिल
धुंधला धुंधला

हाथ बढ़ा पोछा आइना

आइना चमका
अक्स
धुंधला मगर

घाव अंदरूनी

इलाज बाहरी
नज़र पे जाला
नज़र नाकारा
दृष्टि प्राप्त करनी होगी
जो मार करे दूर तक
जो वार करे दूर तक

जब दिखेंगे भीतर के ज़ख़्म 

रखूंगा मरहम सा हाथ
हर लूँगा हर पीड़ा


पहले अपनी
फिर तेरी