मेरे रिक्त स्थान हैं हजारों
हजारों में हजारों स्थान रिक्त हैं ।
रिक्त है मेरे हिया का गान
मेरा हर साज रिक्त है ।
रिक्त है हस्ती मेरी , मेरा वजूद रिक्त है ।
सिमटी सी मेरी हर आहट रिक्त है ।
रिक्त है प्याला मेरा , मेरी मधुशाला रिक्त है ।
रिक्त हो चला है अहम् मेरा , मेरा हर वहम रिक्त है ।
मेरी हथेली रेखाओं से रिक्त है , मेरा लहू शिरायों में रिक्त है ।
रास्ता मेरा मंजिल से रिक्त है , बादल मेरा बारिश से रिक्त है ।
इस कदर रिक्त हुआ हूँ मैं पिछले कुछ सालों में....मेरे भीतर भी रिक्त है..मेरे बाहर भी रिक्त है ।
मेरा सारे रिक्त रिक्त हैं।
रिक्त स्थान मेरे भरने चली आई वो ना जाने कहाँ से ।
मुझे उसने इस लायक पाया ना जाने कहाँ से ।
हजारों में हजारों स्थान रिक्त हैं ।
रिक्त है मेरे हिया का गान
मेरा हर साज रिक्त है ।
रिक्त है हस्ती मेरी , मेरा वजूद रिक्त है ।
सिमटी सी मेरी हर आहट रिक्त है ।
रिक्त है प्याला मेरा , मेरी मधुशाला रिक्त है ।
रिक्त हो चला है अहम् मेरा , मेरा हर वहम रिक्त है ।
मेरी हथेली रेखाओं से रिक्त है , मेरा लहू शिरायों में रिक्त है ।
रास्ता मेरा मंजिल से रिक्त है , बादल मेरा बारिश से रिक्त है ।
इस कदर रिक्त हुआ हूँ मैं पिछले कुछ सालों में....मेरे भीतर भी रिक्त है..मेरे बाहर भी रिक्त है ।
मेरा सारे रिक्त रिक्त हैं।
रिक्त स्थान मेरे भरने चली आई वो ना जाने कहाँ से ।
मुझे उसने इस लायक पाया ना जाने कहाँ से ।
Riktata ka aisa chitran.. durlabh hai !
ReplyDeleteYahi 'durlabhta' le ayee hogi usse yahan tak !!
Shubhkamnayen.
usse??kise?kaun hai wo?aap jaanti hain kya usse?kahin mile toh kahiyega humne yaad kiya hai..
ReplyDeleteapki kavitayein mein jaan hai...apke likhe hue shbdo mein ek zingagi se ladne ki umeed jaagti hai..
ReplyDeleteshukriya sudeep...apko kuchhh mile humaare kisi vichaar se toh bas woh vichaar safal hua samajhiye
ReplyDeletekamaaaaaaaaaaaaaaaal..........yash...
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