July 24, 2012

काहे ? - अश्वनी















टिक टिक
टप टप
धप धप  
समय सरका
पानी बरसा
कदम धमका  
 
ठक ठक 
चिप चिप 
दिप दिप 
द्वार खटका 
बदन तमका
मुख चमका 

लप लप 
गट गट
छन छन  
स्वाद बहका 
गला चहका 
घूंघरू लहका 
 
सब है चलायमान 
सब है निरंतर 
सब है जारी 
सब है सदा
 
फिर क्यूँ दिल करे 
हूम हूम
क्यूँ न करे 
धक धक

July 17, 2012

ऐ - अश्वनी


सिलसिलो
टूटो

किस्मत
 
चमक
 
आह

कर असर

मेहनत

हो सफल

प्यार



ख़ुशी

ठहर

सोच

अच्छा सोच

समय

कट

संताप

घट

ऐ ज़िन्दगी

गले लगा ले

July 6, 2012

ऐसे कैसे चलेगा??? - अश्वनी

सीप सा जीवन
मोती चोरी लेकिन

हथेली बरक़रार

लकीरें गायब लेकिन

दिल प्रस्तुत

धड़कन शांत लेकिन

आंखें खुली
दृष्टि धुंधली
मगर

कदम कायम
राह अदृश्य किन्तु

सांस
सुरक्षित
साहस समाप्त परन्तु

जीवन जारी
जान जमींदोज पर

ऐसे कैसे चलेगा यार ???

July 2, 2012

मेरी इक नन्ही कहानी -अश्वनी

क़िस्से क़िस्म क़िस्म के
क़िस्म क़िस्म के लोग
लंबे लंबे क़िस्सों में
मेरी इक नन्ही कहानी
सांस लेने को निकालती मुंह
चादर से


तभी कोई बड़े गाव तकिये सा

किसी बड़े आदमी का 
बड़ा सा भारी क़िस्सा 
धप्प आके गिरता है
मेरी नन्ही कहानी के मुंह पर

मेरी कहानी एक चुटकुला बनके रह जाती है 

तब ना - अश्वनी

अगर मगर से पार होते
तब ना बोलते ओ.के
 
अंतु परन्तु किंतु से बचते
तब ना साथ आते

कैसे होगा,क्या होगा से हटते
तब ना कदम मिलाते 

झिझक को झटकते 
तब ना नज़र मिलाते

दूर की सोचते 
तब ना पास की समझते

थोड़ा कम सोचते 
तब ना थोड़ा सोच पाते

मौक़ा तो देते 
तब ना मौक़ा पाते 

क़ुदरत को महसूसते 
तब ना नदी बन बहते 

जीना जानते 
तब ना जीने देते 

मुझको समझते 
तब ना मुझको समझते 
मुझको जानते 
तब ना मुझको जानते

मुझको.....
तब ना.....