February 9, 2009

इक परी-अश्वनी

इक परी,आती रही मेरे खाव्बों में..
मेरी साँस छाती रही उसकी साँसों में ..
मेरे आँगन में दिखता रहा मौसम उसका..
मेरी खिड़की पे बरसा कभी सावन उसका..
मेरी नस नस में उसकी आहों का लहू दौड़ता है..
मेरा हाथ(साया) हर रोज़ उसे उसके घर तक छोड़ता है..
इक दर्द सांझा है हमारे दरमियान.. उसे मुझसे वो मुझे उस से जोड़ता है..

3 comments:

  1. hey i jus loved it..heart touchg poem..

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  2. shukriyaa namrata..tumhaare dil ko chhooya toh kuchch achcha hee likh gaya lagta hai main ees baar

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  3. achhi..............yash...

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