February 9, 2009

तेरे जादू का जंगल-अश्वनी

यह तेरे रुखसार पे काला काला सा कुछ लहरा रहा है...
मेरे सुकून को वो घने जंगल में लिए जा रहा है..
तेरे दाएं काँधें पे भी वही काले साए हैं..
जो मुझे फिर से उसी जंगल में ले आयें हैं...
मैं भटक रहा हूँ..मेरा सुकून मिला दे रब्बा..
उसकी गोद मिल जाए एक बार सर रखने को..
फिर चाहे तू उमर भर इस जंगल में सुला दे रब्बा

1 comment: