January 28, 2012

चलें?-अश्वनी

धुंध के पार..चलोगी मेरे साथ?
रोशनी पे सवार..चलोगी मेरे साथ?
मुश्किलें हैं तैयार..चलोगी मेरे साथ?
सह हर वार..चलोगी मेरे साथ?
पूँजी केवल प्यार..चलोगी मेरे साथ?
काँटों भरी बहार..चलोगी मेरे साथ?
न मोटर न कार..चलोगी मेरे साथ?
रोटी विद अचार..चलोगी मेरे साथ?
संघर्ष मेरा संसार..चलोगी मेरे साथ?
विजेता हो, अब सब हार...चलोगी मेरे साथ?

दिन गिनती के चार..चलो ना मेरे साथ..
मुझे करती तो हो प्यार..चलो ना मेरे साथ..
मुझे आता रोज़ बुखार..चलो ना मेरे साथ..
सीने पार कटार..चलो ना मेरे साथ..
गिरा दी हर दीवार..चलो ना मेरे साथ..
खूब करेंगे प्यार..चलो ना मेरे साथ..
दिल में बजी गिटार..चलो ना मेरे साथ..
ग़लती की स्वीकार..चलो ना मेरे साथ..
इन्तहा हुआ इंतज़ार..चलो ना मेरे साथ..
मान जाओ ना यार..चलो ना मेरे साथ.. 

11 comments:

  1. ...प्रशंसनीय रचना - बधाई
    आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!

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  2. रोटी वि‍द अचार...और साथ तेरा प्‍यार
    ..क्‍यों न होगा कोई साथ चलने को तैयार
    बढ़ि‍या....

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    1. umeed to hai..isliye keh bhi diya..ab uspe hai..sang chale yaa raah badal le..

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  3. बिन ढोकल ...वो नहीं चलेगी तुम्हारे साथ

    लो उसको विश्वास में ...तो वो चले ना साथ में ||

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    1. dhokal????iska arth nahi pata..bataayengi please??

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    2. शायद ढोलक कहना चाह रही हैं अंजू जी..यानि ब्याह कर लो तो चलेगी :-)

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  4. बहुत प्यारी रचना...
    एक मीठे से गीत की तरह...
    जाने कितनी और पंक्तियाँ ज़ेहन में कौंध गयीं...
    बहुत सुन्दर.

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    1. shukriya..dholak bataane ke liye aur rachna pasand karne ke liye....aur jo panktiyaan zahan mein koundhi hain..wo likh dein please..

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  5. माधवी तो है ही संग ... बढ़ जाइये

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    1. lol..madhavi ke liye hi likhi...sang hone pe bhi kai baar manaana padta hai..aur door tak sang chalne ke liye..

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