January 2, 2012
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देखा पानी लगी प्यास... ऐसा ही है मेरा ब्लॉग की दुनिया में आना। देखा-देखी। दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं था, पर अब जब सभी लोग कर रहे हैं तो सोचा हाथ आज़माया जाए। पर इतना तय है कि अब आ गया हूं तो कुछ अच्छा करके ही जाऊंगा।
बहता जाता हूँ....कहता जाता हूँ...सहता जाता हूँ...सुनता जाता हूँ...सोचता जाता हूँ...
ReplyDeletejeeta jaata hoon..
Deleteजैसे दुनिया गोल ... वैसे ही ३६५ दिन का चक्र गोल ... और गिनती आगे
ReplyDeleteehsaason per tale kyun ?...lock hata den
ReplyDeleteRashmi ji..tod diya taala..
ReplyDeleteसच! नया साल दो दिन में ही तो पुराना हो जाता है!
ReplyDeleteप्रतिभा..रश्मि जी..अनुपमा..आते रहिएगा..अच्छा लगता है..
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