क्या आपको पता है?
केवल कॉकरोच रहेंगे जिंदा..
जब सब होंगे मुर्दा..
पर उस वक़्त क्या जिंदा होगा सच?
या झूठ बोल रहे होंगे कॉकरोच भी?
उस वक़्त भाई,भाई का गला काटेगा??
या वो सीख जायेंगे भाईचारे से रहना?
उस वक़्त भी क्या रूपया होगा सबका बाप?
या कॉकरोच बेकाम की वस्तु समझ के नकार देंगे उसको?
क्या उस वक़्त हो रहे होंगे प्रोपर्टी के झगड़े?
या कॉकरोच मिल के रह रहे होंगे एक ही भूखंड पे?
उस वक़्त क्या हो रही होगी इन्फिडेलिटी?
या कॉकरोच सीख जायेंगे मोनोगैमी?
क्या उस वक़्त तक कॉकरोच समझ चुके होंगे कि
इंसान था अजीब प्राणी..
जो जिंदा था..लड़ता था..मरता था..और मर गया..
ज़र जोरू ज़मीन पे...
जो बात कॉकरोच समझेंगे हमारे जाने के बाद..
हम वो बात जीते जी समझ लें?
मैं सवाल बहुत पूछने लगा हूँ आजकल..
मुझे माफ़ करना..
पर जब बरसों से जवाब ना मिलें हों तो बहुत से सवाल हो जाते हैं इकट्ठा..
ऐसे सवालों के जवाब कभी नहीं मिलेंगे...
ReplyDeleteखुद अपनी निंदा कहीं किया करता है आदमी???
सार्थक रचना.
sahi kaha..
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ReplyDeleteवाह अश्विन जी वाह....!!
ReplyDeleteshukriya raju bhai..
Deleteउस वक़्त !!! सच जिंदा होकर भी क्या कर लेगा ! रहने देते हैं कॉकरोच को
ReplyDeletetheek hai rashmi ji..rehne do..
Deleteइंसान की सोच पास इतनी ही है ... अभी वक्त है जो करना है कर लो ... तभी तो मार काट में लगा हुवा है आज भी ...
ReplyDeleteसही प्रश्न उठाया है काक्रोच के माध्यम से ...