February 1, 2012

नो कविता डे - अश्वनी

जब मैं कवितायें लिख रहा होता हूँ तो समझ जाइए 
कि मैं उन दिनों में एक भी पैसा नहीं कमा रहा हूँ..
जब कविता पास होती है तो पैसा दूर भागता है...
जब पैसा कमाता हूँ तो कविता पास नहीं आती..
हालाँकि मैं लिख के ही पैसा कमाता हूँ..
पर वो लिखना अलग होता है..
उसमे सब कुछ होता है..
पर कविता नहीं होती..
मैं आजकल फिर से पैसा कमाने के लिए लिख रहा हूँ..
और कविता दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रही..
एक ही सवाल है मेरा आजकल..
ये लक्ष्मी और सरस्वती कभी हाथ मिलायेंगी क्या??

6 comments:

  1. मैं आजकल फिर से पैसा कमाने के लिए लिख रहा हूँ..
    और कविता दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रही..

    थोडा विरोधाभास ही रहता है दोनों में.......

    ReplyDelete
  2. अगर हिम्मत हो तो यही सच है कि लक्ष्मी सरस्वती साथ होती हैं बैलेंस बनाकर ... सिर्फ लक्ष्मी के लिए कोई बैलेंस नहीं

    ReplyDelete
  3. :-)
    सुबह मजदूरी करें...शाम को कलम उठाइये...

    दोनों का आशीष मिलेगा...
    शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  4. yaa to kamalo aur yaha kam-aalo

    aur aate raho to aanke paalo.

    yahi duvidha hamari bhi hai kumaar sahab.

    yaa to khud jee-lo ya parivaar ko jilalo.

    pankaj trivedi :-)

    ReplyDelete
  5. yaa to kamalo aur yaha kam-aalo

    aur aate raho to faanke paalo.

    yahi duvidha hamari bhi hai kumaar sahab.

    yaa to khud jee-lo ya parivaar ko jilalo.

    pankaj trivedi :-)

    ReplyDelete