January 27, 2012

राजकुमारी की कविता-अश्वनी

कवितायें पढ़-सुन कर मेरी
एक देश की राजकुमारी हो गयी फ़िदा...
विवाह का आदेश आया सन्देश के रूप में..
ऑफर अच्छा था..
विवाह करने पे राजकुमारी के साथ राज-पाट भी मिलेगा..
P.T.O लिखा था सन्देश के कोने में..
पलट के देखा तो एक शर्त भी चस्पां थी..
शर्त थी कि मुझे हर रोज़ सुनानी होगी एक कविता राजकुमारी को..
सन्देश और शर्त दोनों आदेश थे..
सो मान लिए..
विवाह हुआ..कविताई भी शुरू हो गयी..
राज-पाट मिला..
सीधा-सादा सा मैं तीर सा तन गया..
सर झुके नौकर से अकड़फूं राजा बन गया..
जब सत्ता सर चढ़ने लगी तो कविता दिल से उतरने लगी..
एक कविता कहना एक समंदर लांघने जैसा हो गया..
इसी राजमद की भूल-भुलैयां में एक दिन मैं बिना कविता कहे सो गया..
सुबह मुझे ज़िंदा दीवार में चिनवा दिया राजकुमारी ने..
अगले दिन से राजकुमारी कवितायें पढ़ने-सुनने लगी नए कवियों की
सुना है उसे एक नए कवि की कवितायें पसंद आने लगी हैं..
राजकुमारी के कारिंदे एक नयी दीवार के लिए ईंट-गारा जुटाने में लग गए हैं..

4 comments:

  1. excellent...
    आपकी रचनाएँ मुझे बहुत भाती हैं..
    एकदम अनोखे विषय...अलग सा तरीका..unconventional..
    like it very much...
    regards.

    ReplyDelete
    Replies
    1. shukriya..shukriya..achha dekhne ko achhi nazar bhi chaahiye..protsaahan badhaati rahein..regards..

      Delete
  2. मरीज़ का नाम
    ********

    चाहता हूँ
    किसी शाम तुम्हें गले लगाकर खूब रोना
    लेकिन मेरे सपनों में भी वो दिन नहीं ढलता
    जिसके आखरी सिरे पर तुमसे गले मिलने की शाम रखी है
    सुनता हूँ
    कि एक नये कवि को भी तुमसे इश्क़ है
    मैं उससे इश्क़ करने लगा हूँ
    मेरे सारे दुःस्वप्नों के बयान तुम्हारे पास हैं
    और तुम्हारे सारे आत्मालाप मैंने टेप किए हैं
    मैं साइक्रेटिस्ट की तरफ देखता हूँ
    वो तुम्हारी तरफ
    और तुम मेरी तरफ
    और हम तीनों भूल जाते हैं - मरीज़ का नाम

    ReplyDelete
    Replies
    1. Waah Babusha..tumhara andaaz niraala hai..aisa bahuton ne kaha hoga tumhe..aajkal log sahi bhi bolne lage hain..nai??

      Delete