January 25, 2012

हूम हूम दिल-अश्वनी

इस कविता में हैं
कुछ छोटी-छोटी कवितायें...
किसी का किसी से 
कोई सीधा सम्बन्ध नहीं..
सिवाए इसके कि...
यह सब मेरे दिल की आवाजें हैं..

प्रेम को रजाई सा ओढ़ा...
गर्माहट से भर गया अंतस..
रजाई ओढ़ के जीवन बिताना....
नामुमकिन है...

एक उधेड़बुन साथ है आत्मा के..
हर समय सालती..
यह उधेड़ बुन...
आत्मा को उधेड़ देती है...

अपनी बचपन की तस्वीर देख के...
अक्सर ये होता है..
खुद को आईने में देख के..
अच्छा नहीं लगता...

माँ ने अब तक
मेरे बचपन के कपड़े संभाल रखे हैं..
वो एक बार मेरे बच्चों को...
वो कपड़े पहने हुए देखना चाहती है..
क्या मैं भी संभाल के रखूंगा 
अपने बच्चे के बचपन के कपड़े?
पता नहीं क्यूँ...
पर मैं एक बार
माँ से लिपट के खूब रोना चाहता हूँ...

मेरे पिता 20 साल बूढ़े हो गए हैं पिछले 10 सालों में..
उनकी बूढ़ा होने की दर
दोगुना हो गयी अचानक...
पिता को अपनी आँखों के सामने 
अपने बच्चे को बढ़ता देखना भाता है..
पर बढ़ चुके बच्चे के लिए
पिता को बूढ़ा होते देखना विवशता है..
मैं एक बार अपने पिता को 
यह बोलना चाहता हूँ कि
मैं उन्हें बेहद प्यार करता हूँ...

मेरा भाई मेरा दोस्त है 

वो वैसा दोस्त है 
जो भाई जैसा होता है...
वो घुमक्कड़ है..
मैं उसके साथ
एक लम्बी यात्रा पे जाना चाहता हूँ...

जब पत्नी मेरे दुःख से दुखी
और मेरे सुख में सुखी होती है
तो अक्सर सोचता हूँ
कि यूँ ही अर्धांगिनी नहीं कहते उसको...
अर्धांग बनके वो...
करती है मुझे पूर्ण..
मैं उस से पहले या उसके साथ
इस दुनिया से जाना चाहता हूँ..
मुझसे पहले उसका जाना मैं नहीं देख पाऊंगा...
कसम से...

10 comments:

  1. excellent........
    u made me cry...
    too good!!!!!

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  2. @Vidya: थैंक्यू, इट मेड मी क्राई टू.....

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  3. one of the best of yours..... Love!!!

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  4. दिल से जब एक अपना ख्याल निकलता है , तो पलभर में कई शहर , कई रिश्तों , कई एहसासों को जी लेता है , बिल्कुल इसी तरह - सुनाते हुए आँखों से एक कतरा अपने ख्यालों का बह निकला ( जो कुछ मुझे अच्छा लगता है, उसे मैं अपनी माँ और बच्चों को सुनाती हूँ )

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    2. rashmi ji...aapka aana sukhad lagne laga hai..aate rahiye..

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  5. सभी पढ़कर लगता है वाकई यह दिल से निकली हुई आवाज़ है समय मिले आपको कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://aapki-pasand.blogspot.com/

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  6. अश्विन जी,
    बढ़िया-मुखरित फिरभी सुन्दर.
    राजू.

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