January 2, 2012

पुराना माल-अश्वनी

वही दोस्त,वही दोस्तियाँ..
वही मुश्किलें,वही कमजोरियां..
वही उलझाने,वही वादे,वही इरादे..
वही लालसाएं,वही इच्छाएं..
वही डर,वही संकोच,वही आशाएं,वही निराशाएं...
वही आप,वही मैं...
सालोंसाल से यह सालों का चक्र घूम रहा है..
सब कह रहे हैं की नया साल है..
मैं कहता हूँ नयी खाल पहन के यह वही पुराना माल है..

7 comments:

  1. बहता जाता हूँ....कहता जाता हूँ...सहता जाता हूँ...सुनता जाता हूँ...सोचता जाता हूँ...

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  2. जैसे दुनिया गोल ... वैसे ही ३६५ दिन का चक्र गोल ... और गिनती आगे

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  3. सच! नया साल दो दिन में ही तो पुराना हो जाता है!

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  4. प्रतिभा..रश्मि जी..अनुपमा..आते रहिएगा..अच्छा लगता है..

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