February 5, 2012

करता क्यों ना मरता ? - अश्वनी

अधमुंदी आँख
बोझिल तन
घायल मन
दिमाग चौकन्ना

कर्मठ मैं
बढ़ते कदम
सामने मंजिल
दिल उदास

भरी जेब

खनखन सिक्के
बैंक बैलेंस
हाथ खाली

भरा परिवार

होम स्वीट होम
सब सुख
सब में तन्हा

नरम बिस्तर

धुली चादर
गागर में सागर
करवट रात

प्रशंसा भरपेट

उज्जवल भविष्य
बढ़ते आलिंगन
अछूती आत्मा

बाधा दौड़

निपुण धावक
गोल्डन ट्रॉफी
पस्त विचार

छप्पन भोग

लपलप जीभ
मुंह में पानी
मरी भूख

लम्बी गाड़ी

कॉस्टली शोफर
टंकी फुल
टायर पंचर

उत्साह जीवन

आँखों सपने
रेल ज़िन्दगी 

अझेल ज़िन्दगी

बिकता लेखन

डेली सोप
जम के पैसे
कौन कविता ?

दिमाग चौकन्ना
दिल उदास हाथ खाली सब में तन्हा करवट रात अछूती आत्मा पस्त विचार मरी भूख टायर पंचर अझेल ज़िन्दगी कौन कविता?

सुसाइड नोट.......
मुंह से झाग........


नोट- ऊपर लिखी सब घटनाएं काल्पनिक हैं..इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है..यदि आपको किसी के भीतर ऐसे लक्षण दिखें..तो वो महज़ एक संयोग है..

4 comments:

  1. अगर फेसबुक की तरह यहाँ भी लाईक बटन होता तो ठीक था..
    अपनी हाजिरी लगा के यूँ ही चल देते..
    क्युकि, क्या कहें ये समझ नहीं आ रहा...

    शुभकामनाएँ.

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  2. कहीं कुछ खो ही गया है ... क्या पहचान मिलेगी ?

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  3. सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....

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  4. बेजोड काव्य ... सभी क्षण लाजवाब ... मज़ा आ गया ...

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