February 4, 2012

हर बार कविता नहीं होती - अश्वनी

अभी मैं कहने जा रहा हूँ कुछ ऐसी बातें 
जो बिलकुल साधारण हैं..
ऐसी बातें हर किसी के ज़हन में आती हैं..
ऐसे शब्द..ऐसी सोच..हर किसी के पास होती है..
इसमें कुछ भी नहीं है कविता जैसा..
पर धोखे से मंच पे चढ़ आए कवि की तरह 
अपनी बात कहके ही जाऊँगा..

काम में दिन रात डूब के पार उतरना निर्वाण है..
किसी को मोहब्बत में पा जाना खुदाई है..
लम्बी दौड़ में सुस्ताना रूहानी है..
प्यास में पानी अमृत है..
भूखे को रोटी जहान है..
धूप में साया सुकून है..
ना के बाद हाँ आनंद है..
यथार्थ में सपने प्राण हैं..
जीवन बाद मौत शान्ति है..
तेरे बिना जीवन मौत है..

देखा..मैंने कहा था ना
इसमें कुछ भी नहीं है कविता जैसा...

1 comment:

  1. काम में दिन रात डूब के पार उतरना निर्वाण है..
    किसी को मोहब्बत में पा जाना खुदाई है..
    लम्बी दौड़ में सुस्ताना रूहानी है..
    प्यास में पानी अमृत है..
    भूखे को रोटी जहान है..
    धूप में साया सुकून है..
    ना के बाद हाँ आनंद है..
    यथार्थ में सपने प्राण हैं... धोखे से ना चढ़ते जो मंच पर , तो यह अमृत अनुभव रह जाता

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