February 22, 2012

सपना उर्फ़ मेरी प्रेमिका - अश्वनी

एक सपना सता रहा था मुझे
पिछले कुछ दिनों से
एक धारावाहिक के रूप में ये सपना घटित हुआ है मेरी नींदों में...
पहले दिन एक लड़की पैदा हुई कहीं

दूसरे दिन वो लड़की बड़ी हुई
तीसरे दिन वो जवान हो गयी
जवान हुई तो पता चला कि मैं इस लड़की से प्यार करता हूँ...
पर चौथे दिन वो लड़की अधेड़ हो गयी मेरे सपने में
पांचवे दिन उसको घेर लिया कई तरह की बीमारियों ने
छठे दिन वो बूढ़ी जर्ज़र हो गई
सातवें दिन वो बिस्तर से लग गई
बस....
आठवें दिन से मैंने नहीं ली है एक भी झपकी
मुझे डर है और पक्का यकीन भी है कि
इस बार के सपने में मेरी प्रेमिका ले लगी मुझसे विदा सदा के लिए....
तब से ले के अब तक कई दिन बीत चुके हैं
और मैं अनिद्रा के अनशन पर बैठा हूँ
पानी के छींटे, कॉफ़ी, और नींद भगाने  वाली दवाइयों से मैंने नींद को दूर भगाया हुआ है..
इतना कुछ आपसे बांटने के बाद मेरे कुछ सवाल हैं
क्यूँ आते हैं सपने?
क्यूँ कोई लड़की बन जाती है प्रेमिका?
क्यूँ जाते हैं लोग?
क्यूँ किसी के जाने से इतना डरता है मन?
क्यूँ इतने सवाल हैं ज़िन्दगी में?
क्यूँ कुछ लोग सोते नहीं चैन से?
और मुझे भी नहीं सोने देते चैन से?

5 comments:

  1. सब सवालों के जवाब मिलेंगे एक बार एकांत में अपने हृदय से बातें करना। शानदार कविता।

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  2. वाह! वाह! वाह! बहुत बढ़िया...

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  3. इन प्रश्नों के महासागर में नहीं सुलझती गुत्थी - कभी सुकून , कभी थकान - प्रश्नों का अम्बार और विस्तार और अपनी स्थिति बवंडर सी

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  4. सो जाईये....देखिये कि वो आपको छोड़ गयी...
    अरे सपने भी कहीं सच हुआ करते हैं???
    :-)

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  5. कठिन कविता पर मज़ा आया-

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