April 21, 2012
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
देखा पानी लगी प्यास... ऐसा ही है मेरा ब्लॉग की दुनिया में आना। देखा-देखी। दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं था, पर अब जब सभी लोग कर रहे हैं तो सोचा हाथ आज़माया जाए। पर इतना तय है कि अब आ गया हूं तो कुछ अच्छा करके ही जाऊंगा।
शायद वो लिखती होगी रोज................बिना नागा किये.........
ReplyDeletesamajh nahi aai aapki baat..
Deleteतुम्हारी कौन सा हर बात हमारे समझ आती है!!!!!
ReplyDelete:-)
वैसे हम ये कह रहे थे कि वो तुम्हें रूठने की वजह नहीं देती....शायद वो लिखती होगी रोज........तुम्हें........
-तुमने कहा ना... वो रूठती है तुमसे क्युकि तुम कविता से रोज मिलते नहीं :-)
hmm...ab samjha..
Deletewaa! kya baat hai...
ReplyDeletekunwar ji
shukriya..
Deleteवाह ...बहुत खूब।
ReplyDeleteshukriya
Delete