April 23, 2012
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देखा पानी लगी प्यास... ऐसा ही है मेरा ब्लॉग की दुनिया में आना। देखा-देखी। दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं था, पर अब जब सभी लोग कर रहे हैं तो सोचा हाथ आज़माया जाए। पर इतना तय है कि अब आ गया हूं तो कुछ अच्छा करके ही जाऊंगा।
सच कहा आपने किसी और मौसम से किसी की यादें जुड़े न जुड़ें किन्तु बारिश से ज़रूर जुड़ी होती हैं :)....
ReplyDeleteहम्मम्मम नाम अच्छा है,बेशक यूनीक भी...
ReplyDeleteमगर जिसके दिल में कविता ना बसती हो उन्हें अजीब सा लग सकता है......
पुकार के देखो ना......
ek baar pukaarne mein ajeeb saa lagta hai..baar baar pukaarne par apna saa
Deleteबारिश!!!
ReplyDeleteअच्छा नाम है ना?
यूनीक सा?
सही कहा आपने, आपसे सहमत ...