April 29, 2012
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देखा पानी लगी प्यास... ऐसा ही है मेरा ब्लॉग की दुनिया में आना। देखा-देखी। दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं था, पर अब जब सभी लोग कर रहे हैं तो सोचा हाथ आज़माया जाए। पर इतना तय है कि अब आ गया हूं तो कुछ अच्छा करके ही जाऊंगा।
प्यासा कुँए के पास जाये या कुआं प्यासे के पास.......
ReplyDeleteअरे कुछ को कविता जैसा हो !!!!!!!
खरबूजा/चाक़ू.........???????
hahaaha..sahi kaha aapne..main kai kai baar bhatak jaata hun..aur mujhe bhatakna achha lagta hai..
Deleteमैं उसके आने की राह देखूं
ReplyDeleteया
खुद ही पहुँच जाऊं उस तक
जी चाहता है
हवा बन कर
चुपके से
उसके दरवाजे पर दे दूं दस्तक