March 14, 2012

दिल से रे - अश्वनी

अन्तरिक्ष अनोखा
दिल झरोखा
दिल ग्रह
दिल उपग्रह
दिल उल्का
दिल का तारामंडल
अन्तरिक्ष यात्री
दो दिलवाले
अन्तरिक्ष यान में बैठ
दिल की करें सैर

दिल से करें सैर 

घना समंदर

दिल के अन्दर
दिल घोंघा
दिल मछली
दिल मूंगा
दिल कछुआ
दिल सीप
अन्दर बैठे
दो मोती
दिल की करें बातें
दिल से करें बातें

बीहड़ जंगल

दिल मंगल मंगल
दिल बरगद
दिल पंछी
दिल झाड़ी
दिल शेर
दिल धरती 
दो बीज
उगने को आतुर
खिलने को आतुर
एक कली एक फूल

दिल के भोले  
दिल से भोले

गाता गगन

दिल मगन मगन
दिल हवा हवाई
दिल बादल आवारा
दिल घटा
दिल मौसम
दिल बारिश
भीगे दो दिलवाले
अंतस तक सराबोर

दिल का नाचा मोर
दिल से नाचा मोर

मंथन मन का

हासिल खला
रौंदा जिस्म
हासिल खला
खंगाली आत्मा
हासिल खला
लहू निचोड़ा
हासिल खला
अंत भला तो सब भला
अंत खला तो सब खला

6 comments:

  1. so please change the climax..........

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    1. mere vash mein kahaan hai kuchh badalna..nirantar ghatna hai..ghat gayi so ghat gayi..

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  2. u are right...
    whats ur e-mail id.??

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  3. अंत भला तो सब भला
    अंत खला तो सब खला
    ...सच सारा निचोड़ अंत पर ही टिका है
    बहुत बढ़िया मनोभाव ...

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  4. बहुत सुंदर रचना......आप तो भाई निखरते जा रहे हो -बधाई हो बधाई.....!!

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