March 2, 2012

हमें शक्ति देना प्रभु -अश्वनी

मुझे साधारण लिखना है
इतना साधारण कि 
जब मेरा दिमाग कुंद हो जाए और दिल कमज़ोर
मैं तब भी अपने लिखे को समझ पाऊं

मैं इतना साधारण लिखना चाहता हूँ कि
बोझा उठाने वाला मज़दूर
मल्टी नैशनल कम्पनी का ऑफिसर
रेड लाइट एरिया की औरतें
कॉलेज के छात्र 
दुकानदार वेटर ठेलेवाले 
सब एक बार में समझ पाएं
सबको लगे कुछ अपना सा 
कुछ उनके दिल की बात

पर इतना साधारण भी नहीं लिखना मुझे
कि उसको समझ जाएँ भ्रष्ट वाले नेता
दोगले टाइप दलाल
सड़े हुए सूदखोर 
ज़ालिम जैसे पुलिसवाले 

जब तक मेरा लिखा
ऐसे लोगों से बचा रहेगा
तब तक बचा रहूँगा मैं
बची रहेगी मेरी कलम में स्याही 
बची रहेगी एक आस
मज़दूर वेश्या दुकानदार छात्र वेटर ऑफिसर ठेलेवाले 
के दिल में

हमें शक्ति देना प्रभु !!!

2 comments:

  1. Behtareen...... Likha hua saadharan ho, baat gehri ho.... asal lekhan wahi hai....

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