तुम और मैं
जैसे
मैं और तुम
तुम मैं सी
मैं तुम सा
तुम मुझे समझ नहीं आती
मुझे तुम समझ नहीं पाती
समझ से हट के देखा
मैंने तुम्हें
तुमने मुझे
दोनों समझ गए
कुछ नहीं रखा समझ में
मैंने तेरे लिए लहू बहाना था
तुम मेरे माथे पे पसीना भी नहीं आने देती
तुम इंद्रधनुष रखती हो अपने साथ
बेरंग होता हूँ जब
कुछ रंग तोड़
करती हो रंगीन
मुझे
दो समानांतर रेखाएं इन्फिनिटी पे मिलती प्रतीत होती हैं
हम कुछ कदम बाद एक रेखा हो गए
रेखागणित का गणित
फ़ेल हुआ
मुझे क़िस्मत पे नहीं था यकीन
क़िस्मत से मिली तुम
क़िस्मत चमक गई
मुझे क़िस्मत पे यकीन नहीं होता
वादा था मुलाक़ात का
थोड़ी सी बात का
बात अभी भी जारी है
मुलाक़ात अभी भी है
दो बातूनी मिल जाएँ
तो बात दूर तलक जाती है
प्रेम प्यार इश्क मोहब्बत
से बड़ा है
तेरा साथ
जैसे
मैं और तुम
तुम मैं सी
मैं तुम सा
तुम मुझे समझ नहीं आती
मुझे तुम समझ नहीं पाती
समझ से हट के देखा
मैंने तुम्हें
तुमने मुझे
दोनों समझ गए
कुछ नहीं रखा समझ में
मैंने तेरे लिए लहू बहाना था
तुम मेरे माथे पे पसीना भी नहीं आने देती
तुम इंद्रधनुष रखती हो अपने साथ
बेरंग होता हूँ जब
कुछ रंग तोड़
करती हो रंगीन
मुझे
दो समानांतर रेखाएं इन्फिनिटी पे मिलती प्रतीत होती हैं
हम कुछ कदम बाद एक रेखा हो गए
रेखागणित का गणित
फ़ेल हुआ
मुझे क़िस्मत पे नहीं था यकीन
क़िस्मत से मिली तुम
क़िस्मत चमक गई
मुझे क़िस्मत पे यकीन नहीं होता
वादा था मुलाक़ात का
थोड़ी सी बात का
बात अभी भी जारी है
मुलाक़ात अभी भी है
दो बातूनी मिल जाएँ
तो बात दूर तलक जाती है
प्रेम प्यार इश्क मोहब्बत
से बड़ा है
तेरा साथ
गणित फेल नहीं हो सकता...
ReplyDeleteसमानांतर रहे नहीं होगे....एक दुसरे को समझे जो नहीं थे
:-)
nice writing....
सुन्दर रचना, सधी सरल भाषा में कही हुई पर कविता के सौन्दर्य के साथ. दो जन कैसे अक सुन्दर साथ बना लेते हैं - का बेहतरीन चित्रण. धन्यवाद एक सच्ची रचना के लिए जो सुन्दर है.
ReplyDeleteवाह !!! बहुत खूब एक अलग ही अंदाज़ की प्रेमपूर्ण प्रस्तुति...बहुत ही सुंदर भाव संयोजन...
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