यह टेलीकास्ट मेरे दिलो-दिमाग की स्क्रीन पे होता है
कभी कभार ही कुछ एपिसोड्स देखने लायक होते हैं
वरना..अक्सर वही घिसा पिटा
हर वक़्त ये प्रयत्न के कुछ हो ऐसा
कि
यह धारावाहिक बन सके देखने लायक
परन्तु
प्रयत्न..प्रतीक्षा का मज़ा ले लेता है
ज़िन्दगी के इस डेली सोप में हाथ पे हाथ धर
आराम कुर्सी पर बैठ पोपकोर्न खाते हुए
इस धारावाहिक की कड़ियाँ देखना ख़ास बुरा नहीं
बशर्ते यदि आप अच्छे अभिनेता हैं
और
खुद को मुख्य भूमिका में देख के बोर नहीं होते
तो
ये सारा जहान मंच है आपका
उछलिए कूदिये ठहाके लगाइए
और सोच के खुश रहिए की आप निर्देशक भी हैं इसके
पर मेरा यह भ्रम खंडित है
मैं ये स्वीकार करके जीता हूँ कि
एक कठपुतला हूँ मैं
किसी की उँगलियों में बंधी डोर से संचालित
निर्देशक कई और हैं मेरे
और वो सब मुझसे नाराज़ रहते हैं
क्योंकि मैं ज़िन्दगी के इस धारावाहिक में अच्छा अभिनय भी नहीं कर पाता..
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