निकला था घर से
सोच के कुछ कि इधर जाऊंगा
उधर जाऊंगा
अभी आके जहां पहुंचा हूँ
समझ नहीं आता
कहाँ हूँ ...
किधर जाऊंगा
कभी मंजिल ने छला..
कभी रस्ता निकला मनचला
कभी पता चला
कभी नहीं
बहुत सोच समझ के यात्रा शुरू करो तो भटकने के चांसेस ज्यादा रहते हैं...
आप क्या कहते हैं??
सोच के कुछ कि इधर जाऊंगा
उधर जाऊंगा
अभी आके जहां पहुंचा हूँ
समझ नहीं आता
कहाँ हूँ ...
किधर जाऊंगा
कभी मंजिल ने छला..
कभी रस्ता निकला मनचला
कभी पता चला
कभी नहीं
बहुत सोच समझ के यात्रा शुरू करो तो भटकने के चांसेस ज्यादा रहते हैं...
आप क्या कहते हैं??
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteहिन्दीकुंज
hmmmm.....gd...yash...
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