August 20, 2012

तूने - अश्वनी

चन्द लम्हे  
कंपन से गुज़रा
हाथ
लकीरें गडमड हो गई
एक छोटी सी कंपन ने
तकदीर बदल डाली

गुनाह के रस्ते पे था 
अकेला 
भटकन थी डगर 
तूने पास बिठाया  
दो पल
तस्वीर बदल डाली 

कुछ घटनाओं को 
समझने लगा था 
प्यार 
एक बादल को बहार
तूने चंद की बातें
बादल छंट गया
तदबीर बदल डाली 

नाशुक्रा था 
सदा से
तेरा करम हुआ
सजदे में आ गया 
गिर गया ग़ुरूर
तहरीर बदल डाली 

6 comments:

  1. खुदा से पहचान कराने वाले खुदा से कम नहीं होते...

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  2. .


    अश्वनी जी
    नमस्कार !

    आपकी कविताएं आकर्षित करती हैं … आभार !
    इस कविता के साथ-साथ कुछ पुरानी पोस्ट्स भी देखी है अभी …
    … बधाई !

    …आपकी लेखनी से सुंदर रचनाओं का सृजन होता रहे, यही कामना है …
    शुभकामनाओं सहित…

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  3. बहुत निजी,बहुत अच्छी.....

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  4. बहुत अच्छी कविता...

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