July 17, 2012
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देखा पानी लगी प्यास... ऐसा ही है मेरा ब्लॉग की दुनिया में आना। देखा-देखी। दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं था, पर अब जब सभी लोग कर रहे हैं तो सोचा हाथ आज़माया जाए। पर इतना तय है कि अब आ गया हूं तो कुछ अच्छा करके ही जाऊंगा।
बहुत सुंदर क्या बात हैं ......
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteShukriya..bahut bahut
ReplyDeleteक्या
ReplyDeleteलिखा है....!! :)
अश्विनी.सुन्दर.एक सुझाव: इस पोस्ट का लेआउट चेंज कर सको तो अच्छा,क्योंकि पहली पंक्ति --'सिलसिले' तस्वीर के दाहिने कोने में चली गई है और लगता है की रचना 'टुटा' से शुरू हो रही है.
--मज़ा आया
गम
ReplyDeleteभाग गया
मज़ा
आ गया............
अनु
Raju ji..sudhaar kar diya..Anu ji...phir se shukriya..
ReplyDeleteअश्विनी,
ReplyDeleteजांच लीजिए. अब तक प्रथम शब्द दाहिने कोने में ही है.....
raju ji..ab?ab theek hua?
Deleteअरे हमें तो शुरू से सही दिख रहा है.........
ReplyDelete?????
ab sabko sahi dikhega..:)
Deleteदेखन में छोटे लगे घाव करें गंभीर
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