July 2, 2012

मेरी इक नन्ही कहानी -अश्वनी

क़िस्से क़िस्म क़िस्म के
क़िस्म क़िस्म के लोग
लंबे लंबे क़िस्सों में
मेरी इक नन्ही कहानी
सांस लेने को निकालती मुंह
चादर से


तभी कोई बड़े गाव तकिये सा

किसी बड़े आदमी का 
बड़ा सा भारी क़िस्सा 
धप्प आके गिरता है
मेरी नन्ही कहानी के मुंह पर

मेरी कहानी एक चुटकुला बनके रह जाती है 

3 comments:

  1. कहानी में दम हो तो गाव तकिया क्या गद्दा भी नहीं दबा सकता....
    नहीं????

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  2. अश्विनी....अजीब.

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