अगर मगर से पार होते
तब ना बोलते ओ.के
अंतु परन्तु किंतु से बचते
तब ना साथ आते
कैसे होगा,क्या होगा से हटते
तब ना बोलते ओ.के
अंतु परन्तु किंतु से बचते
तब ना साथ आते
कैसे होगा,क्या होगा से हटते
तब ना कदम मिलाते
झिझक को झटकते
तब ना नज़र मिलाते
दूर की सोचते
तब ना पास की समझते
थोड़ा कम सोचते
तब ना थोड़ा सोच पाते
मौक़ा तो देते
तब ना मौक़ा पाते
क़ुदरत को महसूसते
तब ना नदी बन बहते
जीना जानते
तब ना जीने देते
मुझको समझते
तब ना मुझको समझते
मुझको जानते
तब ना मुझको जानते
मुझको.....
तब ना.....
झिझक को झटकते
तब ना नज़र मिलाते
दूर की सोचते
तब ना पास की समझते
थोड़ा कम सोचते
तब ना थोड़ा सोच पाते
मौक़ा तो देते
तब ना मौक़ा पाते
क़ुदरत को महसूसते
तब ना नदी बन बहते
जीना जानते
तब ना जीने देते
मुझको समझते
तब ना मुझको समझते
मुझको जानते
तब ना मुझको जानते
मुझको.....
तब ना.....
बहुत खूब। शुभकामनायें।
ReplyDeleteshukriya Nirmala ji..
Deleteअश्विनी, बस अब बहुत हो गया.....इतना भी अच्छा मत लिखो की दूसरे कोम्लेक्स में आ कर हप्तों तक कलम हाथ में लेने को कांपते रहे...
ReplyDeleteitni taareef mat karo Raju bhai..kahin ghamandi naa ban jaaun..
Deleteक्या कहूँ????
ReplyDeleteबहुत खूब????????????
जितना लिखते हैं उससे थोडा ज्यादा लिखते
तो लिख पाते........
:-)
अनु
hmm..Anu ji..kai kai din aise hote hain ki main kuchh nahi karna chaahta..likhna bhi chhoot jaata hai un dino..prantu ab koshish karke thoda zyada likha karunga..shukriya..
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