उत्तेजना है कुछ ...कुछ ठंडापन है
जिज्ञासा है कहीं..कहीं तटस्थता भी है
निश्चिन्तता है कभी..कभी चिंतामगन हूँ
दूरदृष्टि प्राप्त होती कभी..कभी सब कुछ धुंधला धुंधला
अहसास होता हर आहट का कभी ...कभी कुंद पड़ जाती हर संवेदना
जिज्ञासा है कहीं..कहीं तटस्थता भी है
निश्चिन्तता है कभी..कभी चिंतामगन हूँ
दूरदृष्टि प्राप्त होती कभी..कभी सब कुछ धुंधला धुंधला
अहसास होता हर आहट का कभी ...कभी कुंद पड़ जाती हर संवेदना
hmmmmm.....yash...
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