May 28, 2012

किस्मत हो सकता है इसका शीर्षक - अश्वनी

बहना नाँव की किस्मत है
डूबना भी
नदी की किस्मत है सागर
बाँध भी
चमकना चाँद की किस्मत है
ग्रहण भी
मिट्टी की किस्मत है जिस्म
खिलौना भी
धड़कना दिल की किस्मत है
टूटना भी
इज़हार की किस्मत है हाँ
ना भी
उड़ना पतंग की किस्मत है
कटना भी
किस्मत की किस्मत है खुल जाना
बंधना भी

मेरी किस्मत है तू

नहीं भी

8 comments:

  1. हाँ...
    किस्मत हो सकता है शीर्षक
    नहीं भी....

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  2. सब किस्मत का ही तो खेल है :-)

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  3. सब किस्मत का ही कमाल है ... जो है और जो नहीं भी ...
    सब कुछ किस्मत ही है .... मगर क्या किस्मत आपके हाथों में नहीं ...

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  4. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    इंडिया दर्पण
    पर भी पधारेँ।

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  5. ऐसा क्यों सोचते हैं आप जैसा मैं ?

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  6. अश्विनी,
    बहुत अच्छे.मज़ा आ गया.

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  7. अश्विनी, किस्मत में मैं नहीं मानता पर आप की इस कविता में मानता हूँ.सुन्दर रचना.

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