बिना मंजिल के कोई सफर हो....
अजनबी सा एक हमसफ़र हो...
राह इतनी दुशवार हो की रस्ता ना सूझे...
कुछ के मिले जवाब,कुछ सवाल रहे अबूझे॥
भटकते रहे ख़लाओं में...
मांगे बादल हवाओं से पर प्यास ना बुझे कभी...
चाँद से मिले रोशनी पर रात न ढले कभी॥
अजनबी सा एक हमसफ़र हो...
राह इतनी दुशवार हो की रस्ता ना सूझे...
कुछ के मिले जवाब,कुछ सवाल रहे अबूझे॥
भटकते रहे ख़लाओं में...
मांगे बादल हवाओं से पर प्यास ना बुझे कभी...
चाँद से मिले रोशनी पर रात न ढले कभी॥
hmmmm.....yash
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