प्रेमिका सी कविता
कई दिन के बाद मिलो तो बात नहीं करती आसानी से
अनमनी सी रहती है
रूठी
धीरे धीरे खुलती है
पंखुड़ी सी
उलाहना सा देती है
मिलना नहीं था अक्सर
तो
क्यूँ जान पहचान बढ़ाई
फिर कहती है कि
आ ही गए हो तो बातें कर लो दो चार
फिर शरारती हंसी हंसती है
छूने लगती है बहाने बहाने
कहती है
मैं तो मज़ाक कर रही थी
मिलते हो तो अच्छा ही लगता है
चाहे सालों बाद मिलो
पर मिलना ऐसे ही
जैसे मिल रहे हो पहली बार
अजनबी मगर मेरे अजनबी
और हाँ
मुस्कुराना मत छोड़ना
तुम्हें मुस्कुराता देख तो पास आती हूँ तुम्हारे
अजनबी मगर मेरे अजनबी!!!
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ReplyDelete8th अप्रेल के बाद सीधे 21st अप्रेल..................
ReplyDeleteअब उलाहने ना दे...रूठे नहीं तो क्या करें????????????
कहीं शोर्ट टर्म मेमोरी लोस हो गया तो और दिक्कत....
:-)
hahahhaa..aage se koshish karoonga ki itna vakfa naa ho jaaye..
ReplyDeleteकुछ दिन के अंतराल के बाद बेशक लिखा है, लेकिन लिखने में ज़्यादा गहराई है....!!! उम्दा है!!
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