July 24, 2012
July 17, 2012
July 6, 2012
July 2, 2012
तब ना - अश्वनी
अगर मगर से पार होते
तब ना बोलते ओ.के
अंतु परन्तु किंतु से बचते
तब ना साथ आते
कैसे होगा,क्या होगा से हटते
तब ना बोलते ओ.के
अंतु परन्तु किंतु से बचते
तब ना साथ आते
कैसे होगा,क्या होगा से हटते
तब ना कदम मिलाते
झिझक को झटकते
तब ना नज़र मिलाते
दूर की सोचते
तब ना पास की समझते
थोड़ा कम सोचते
तब ना थोड़ा सोच पाते
मौक़ा तो देते
तब ना मौक़ा पाते
क़ुदरत को महसूसते
तब ना नदी बन बहते
जीना जानते
तब ना जीने देते
मुझको समझते
तब ना मुझको समझते
मुझको जानते
तब ना मुझको जानते
मुझको.....
तब ना.....
झिझक को झटकते
तब ना नज़र मिलाते
दूर की सोचते
तब ना पास की समझते
थोड़ा कम सोचते
तब ना थोड़ा सोच पाते
मौक़ा तो देते
तब ना मौक़ा पाते
क़ुदरत को महसूसते
तब ना नदी बन बहते
जीना जानते
तब ना जीने देते
मुझको समझते
तब ना मुझको समझते
मुझको जानते
तब ना मुझको जानते
मुझको.....
तब ना.....
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