July 24, 2012
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देखा पानी लगी प्यास... ऐसा ही है मेरा ब्लॉग की दुनिया में आना। देखा-देखी। दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं था, पर अब जब सभी लोग कर रहे हैं तो सोचा हाथ आज़माया जाए। पर इतना तय है कि अब आ गया हूं तो कुछ अच्छा करके ही जाऊंगा।
बहुत अच्छे.अश्विनी, मुझे अक्सर आप की रचनाएं मनप्रदेश की खोजी पत्रकारिता जैसी लगती है.
ReplyDeleteshukriya Raju ji..
ReplyDeleteचकाचक।
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