July 24, 2012

काहे ? - अश्वनी















टिक टिक
टप टप
धप धप  
समय सरका
पानी बरसा
कदम धमका  
 
ठक ठक 
चिप चिप 
दिप दिप 
द्वार खटका 
बदन तमका
मुख चमका 

लप लप 
गट गट
छन छन  
स्वाद बहका 
गला चहका 
घूंघरू लहका 
 
सब है चलायमान 
सब है निरंतर 
सब है जारी 
सब है सदा
 
फिर क्यूँ दिल करे 
हूम हूम
क्यूँ न करे 
धक धक

3 comments:

  1. बहुत अच्छे.अश्विनी, मुझे अक्सर आप की रचनाएं मनप्रदेश की खोजी पत्रकारिता जैसी लगती है.

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