July 6, 2012
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देखा पानी लगी प्यास... ऐसा ही है मेरा ब्लॉग की दुनिया में आना। देखा-देखी। दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं था, पर अब जब सभी लोग कर रहे हैं तो सोचा हाथ आज़माया जाए। पर इतना तय है कि अब आ गया हूं तो कुछ अच्छा करके ही जाऊंगा।
वाकई ऐसे कैसे चलेगा..........
ReplyDeleteu must learn to write.......
u must stop confusing ur resders......
:-)
anu
confusing???? kaise??
Deleteकोई और लिखता तो यूँ लिखता...
ReplyDeleteमोती चोरी लेकिन
सीप सा जीवन
लकीरें गायब लेकिन
हथेली बरक़रार या हथेली बरक़रार
लेकिन लकीरें गायब...
:-)
but you are different.......so keep up your style.
shukriya..
ReplyDeleteअश्विनी . लाजवाब. अभिव्यक्ति तो कोई आप से सीखें ....सरल शैली में कितनी कठिन व्यथा को आपने रख दिया....!!
ReplyDeleteshukriya Raju ji..
Deletenice..
ReplyDelete:) thanks
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