January 3, 2016

जब प्रेमिका पुकारे....'भाई साब'


जैसे बरसों बाद आइना देखो तो खुद को पहचानना होता है मुश्किल !!
वैसे ही कुछ साल बीत जाने के बाद अपनी लिखी कविताएं भी लगती हैं अपरिचित !!!

जैसे आइना पूछता है सवाल कि कहाँ थे इतने दिन !!
वैसे ही कविताएं कहती हैं कि आप कौन भाईसाब??

भले ही आइना ना देखो बरसों
पर कविता को मुंह ना दिखाना
नहीं है अच्छा

प्रेमिका जैसी होती है कविता
ब्रेक-अप हो जाए तो
ना दिमाग में आती है ना दिल में

फिर पुरानी कवितायों को पढ़ के ही दिल बहलाना पड़ता है
प्रेमिका के लिखे पुराने खतों की तरह !!


काफी समय बाद अपने ब्लॉग पर अपनी कविताएं पढने के बाद !!!

4 comments:

  1. बहुत इंतज़ार कराते हो सर, पर जब आते हो तो मन से मलाल मिटा जाते हो और बवाल मचा जाते हो keep it up!!!

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    1. hehehe..शुक्रिया Viveck Tewari! खुद भी इंतज़ार करता हूँ अपना

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  2. एकदम सही लिखा है भाई साहब। ऐसा ही होता है।

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  3. एकदम सही लिखा है भाई साहब। ऐसा ही होता है।

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